वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी को शब्द ऋषि सम्मान अर्पित किया गया

बीकानेर| राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा शहर के भीतरी परकोटे में शब्दों का गुलिस्तां प्रस्तुत किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भैरूं उपासक प्रहलाद ओझा ने कहा कि शब्दों का संसार अनन्त है, उन शब्दों को जोड़कर हम अपनी वाणी देते हैं जिससे देशभक्ति और भाईचारे की भावना प्रबल होती है | रमक-झमक का सौभाग्य है जो इतना अच्छा कार्यक्रम करने के लिए इस प्रांगण का चयन किया गया | मुख्य अतिथि डॉ.अजय जोशी ने कहा कि आज ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जिससे नई पीढी को पुरानी पीढी से सीखने को मिलता है | वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने अपनी रचना “निम्धो-निम्धो पडै चानणो अर मिनख पणै री छूट रेई लगाम” सुनाते हुए कहा कि बीकानेर की साहित्य परम्परा समृद्ध एवं प्रेरक रही है | वर्तमान में कवि उसी मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं जो अच्छी बात है | संस्था ने मेरा बहुमान किया, मैं संस्था का आभारी हूं| कार्यक्रम में संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कवयित्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने कहा कि यह संस्था प्रति माह “विभूति के द्वारे” कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्य एवं समाजसेवा करने वाले प्रेरणास्पद विभूतियों का सम्मान कर संस्था स्वयं अपने आपको गौरवान्वित करती है | आज इसी 13 वीं कड़ी में हिन्दी राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी का शब्दों से, भावों से, अपनी स्वरचित रचनाओं के साथ पुष्पहार, शोल, श्रीफल एवं साहित्य अर्पित कर सम्मान किया गया | जुगलकिशोर पुरोहित ने वंदना प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना “है मात तुम्हारे चरणों में दुनिया की सारी जन्नत है” सुनाई | कार्यक्रम का संचालन करते हुए हास्य-व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने शिवराजजी छंगाणी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से बताते हुए अपनी रचना “कमाऊं घणोई पण मेंगाई पार पड़ण दे कोनी”, कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने “जिन्दगी के मर्म को अबतक समझ पाया नहीं, आधा जीवन जी लिया पर हाथ कुछ आया नहीं” सुनाकर तालियां बटोरी | कैलाश टोक ने “जोड़ी हमारी देखकर लोग कहते सुभान अल्लाह सुनाई”, राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्ष एवं लेखिका डॉ. कृष्णा आचार्य ने गगन की छांव है बेटी धरा का बीज है बेटी गीत सुनाकर वाह-वाही लूंटी | मीठे गीतकार लीलाधर सोनी ने सदा सुरंगों राखो रामजी म्हारौ राजस्थान गीत सुनाकर तालियाँ बटोरी | ओजस्वी कवि विशन मतवाला ने “आदमी है आदमी को प्यार दे-दुलार दे” सुनाई | रमक-झमक की तरफ से राधेश्याम ओझा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया|