सारे रिश्ते नाते तोड़कर प्रेमिका को प्रेमी के साथ भागने को मजबूर करती है सिंदूरी मिट्टी

विशेष संवाददाता
रायगढ ( छत्तीसगढ़) । चुटकी भर सिंदूरी मिट्टी लगाई और सारे रिश्ते नाते तोड़कर लड़की अपने प्रेमी के साथ नया घर बसाने के लिए बसे बसाए घर को छोड़कर भाग ली। ये कोई बॉलीवुड की फिल्मों का सीन नही है । ग्रामीणों की माने तो कोई किसी को पाने की हसरत लिए उसके शरीर में ये सिंदूरी मिट्टी लगा दे तो अफसाना हक़ीक़त बन जाता है। ये सच्चाई है रायगढ़ से 25 किमी दूर स्थित भगोरा की । इस गाँव के धोबामुड़ा जंगल में ऐसे ही चमत्कारिक मिट्टी की सुरंग है। जिसे प्रेयसी के शरीर में छिड़कने भर से वह जीवन संगिनी बनने राजी हो जाती है। यह मान्यता वर्षों से चली आ रही है। इस मिट्टी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ग्रामीणों ने इस मिट्टी के गड्ढे को पिछले कई सालों से बंद कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मिट्टी के कारण समाज में प्रेम विवाह के मामले बढ़ जाएंगे, जिसे हमारी संस्कृति में सही नहीं माना जाता है।
शहर से 25 किमी दूर स्थित भगोरा गांव के ग्रामीण धोबामुड़ा जंगल को लवर प्वाइंट मानते हैं। उनका मानना है कि प्रेमी जोड़ों की प्रेमकथा यहां से शुरू हुई थी। गांव के 65 वर्षीय बैगा मोहित राम राठिया की मानें तो धोबामुड़ा जंगल में स्थित सुरंगनुमा गड्ढा करीब 40 से 45 फीट गहरा है। इसमें पहले सिंदूर मिट्टी निकलती थी। उनके बचपन मे तो गांव में इस सुरंग की खूब चर्चा थी। लोग बोला करते थे कि इस सुरंग में सिंदूरी मिट्टी मिलती है। जिसे कोई भी अपनी प्रेयसी के शरीर में लगा दे तो वह उसकी पत्नी बनने राजी हो जाती है। धीरे-धीरे यह किंवदंती पूरे क्षेत्र में फैलने लगी। इस तरह जंगल की सिंदूरी सुरंग चर्चा में आ गई। इसके बाद गांववालों ने तय किया कि उक्त सुरंग आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में बुजुर्गों ने उक्त सुरंग को बंद करने का निर्णय लिया और उसे पूरी तरह बंद कर दिया। तब गांवों में प्रेमी प्रेमिका जोड़ी द्वारा शादी करने पर पाबंदी थी लेकिन सिंदूरी मिट्टी पारम्परिक विवाह व्यवस्था पर भारी पड़ रही थी।
ठगु और मटारो की प्रेम कहानी से ही धोबामुड़ा जंगल की सिंदूरी सुरंग फेमस हुई। 65 वर्षीय ग्रामीण रघुराम राठिया ने बताया कि सबसे पहले सिंदूरी मिट्टी का प्रयोग गांव के लोहार ठगु ने मटारो पर किया था। दरअसल दोनों एक दूसरे को प्रेम करते थे, लेकिन परिजन उनके प्रेम संबंध को अस्वीकार कर रहे थे। सबसे ज्यादा विरोध मटारो के परिजन कर रहे थे। ऐसे में ठगु लोहार ने सुरंग से सिंदूरी मिट्टी निकाली और मटारो के शरीर में छिड़क दी। इसके बाद मटारो ने उसे अपना पति मान लिया।
शादी के दिन भागी थी दुल्हन
सिंदूरी माटी से करीब डेढ़ दर्जन प्रेमी जोड़ों ने शादी की, लेकिन उसे पत्थरों से पैक करने की नौबत तब आई जब गांव की बेटी मठारो की शादी थी, टांगरघाट से दुल्हा बारात लेकर आया था। इस बीच दुल्हन बनी मठारो, अपने गांव के ही युवक ठगु से सिंदूरी माटी लगा कर फरार हो गई।
हालांकि उनके विवाह के बाद भी गांववालों ने विरोध किया, बावजूद इसके दोनों फिर कभी जुदा नहीं हुए। ग्रामीणों ने बताया कि अब उनके परिवार में कोई भी सदस्य नहीं बचा है।
दो बांस को जोड़कर निकालते थे मिट्टी
ग्रामीण कन्हैया बताते हैं कि सुरंग की गहराई करीब 40 फीट थी, ऐसे में वहां से मिट्टी निकालने में काफी परेशानी होती थी। उन्होंने कहा कि सुरंग की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि आसपास के गांव से भी लोग वहां पहुंचते और मिट्टी निकालते थे। इसके लिए वहां पर दो बांस को जोड़कर रखा गया था, ताकि मिट्टी निकालने में कोई परेशानी ना आए।
आज भी पहुंचते हैं प्रेमी जोड़े
धोबामुड़ा जंगल में स्थित सिंदूरी सुरंग को देखने के लिए आज भी प्रेमी जोड़े पहुंचते हैं। ग्रामीण अनिल बताते हैं कि वहां अक्सर एक दो प्रेमी जोड़ों को देखा जाता है। कई बार तो कुछ लोगों द्वारा वहां से मिट्टी खोदने का प्रयास भी किया जाता है। लेकिन वे इस प्रयास में विफल हो जाते हैं।