इंदिरा रो पोतों बात्यो मैं आयग्यो

पाटा बोला

बीकानेर। शाम ढलते ही गर्मी गर्मी करते हुए एक हाथ मे अपना शर्ट लिए हुए उस्ताद जी पाटे पर आकर पसरते हुए बोले,” गरमी तकड़ी है मर पूरा हुसो ।’ उस्ताद जी कुछ और बोलना ही चाहते थे कि सांवरसा ने बीच मे ही टोक दिया बोले,” गरमी तो मारसी जणै मारसी गुटका , पान खार जे पीक थूकी तो राज आळा अफसर मारसी दो घोड़ा ठोक र ले लेसी , पछै रोंवता रैया म्हारो बाप ही नई सुणै ।’ दोनो की बात को गंभीरता से सुन रहे जुगल मास्टर ने अपनी राजनीतिक गुगली फेंकी ,’ अबकी बोट पड़िया पछै इंदिराजी रै पोतै तकड़ी पीक थूकी आपो रै गहलोत और आपरै भायलै पायलेट रा कपड़ा सगळा भर दिया बापड़ा कैनै देखावै आ उगाड़े तो लाज आवै बा उगाड़े तो ..। ‘ जुगल मास्टर अपनी बात जारी रखते उससे पहले ही अपना तकिया लेकर पाटे पर पहुंचे सिंग जी ने जोर दार थाप मास्टर की कमर में मारी व शुरू हो गए ,” तू तो म्हारै पढियोडो ही डोफो रैयग्यो बो इंदिरा रो लाडेसर लोको री बात्यो मैं आयग्यो , इयोरां पूर फाड़े मरवाया तो नीचै आळा है म्हनै बता आपोरै किताक जणा थारै खनै बोट रो कैवनै आया , सगळा नै फोगट रो धन चइजतो बापड़ै नै हाथ झाल र मरवाय दियो।’ पाटे पर रंगत जमने लगी थी सप्तम सुर में आने वाली आवाजे राहगीरों का ध्यान भी आकर्षित करने लगी पास से गुजर रहे चोंचिया महाराज ने अपनी चोंच खोली,” सईं कैवै हाथ आळी पारटी आळा तो दिखया ही कोयनी । बोटा में आ लागतो कै कोलायत आळा ठाकर साहब ही लड़ रैया है । ए तो खूंटी ताण र सुयग्या । ऐ ओ तो ठाकर आपरी पार्टी सूं रीसोणो होर र आयग्यो नईं तो कांग्रेस रा टका तो बटीजयोडा ही हा। ‘ इतने में ही पागा महाराज बोले ,” टका तो आपोरा बटिजया है पैला लम्बा चौड़ा ओळभा दिया पछै लारै पड़ र बोट भी दिया । अबै कोई इयोरों कॉम क्यो करसी।

कोकड़दास