ऊँट अनुसंधान केन्द्र ने लगाए पशु स्वास्थ्य कैम्प

बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा जन जातीय उपयोजना के तहत 28 एवं 29 मई को आबू रोड़ स्थित मुदरला ग्राम पंचायत के मोरडू व पिंडवाड़ा ग्राम पंचायत के लोटाना गांव में पशु स्वास्थ्य कैम्प एवं संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें जन जातीय क्षेत्रों के महिला एवं पुरुष पशुपालक अच्छी खासी तादाद में अपने पशुओं के साथ पहुंचे।
केन्द्र के निदेशक डाॅ. आर.के. सावल ने सिरोही से केन्द्र-दल के लौटने पर बताया कि भारत सरकार की जनजातीय उपयोजना के तहत केन्द्र ऐसे गांवों में नियमित रूप से पशु स्वास्थ्य शिविर एवं संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि इन क्षेत्रों के अधिकाधिक पशुपालक व किसान जागरूक होकर लाभान्वित हो सके। डाॅ.सावल ने कहा कि सरकारी योजनाओं की सफल क्रियान्विति हेतु जमीनी स्तर ऐसे प्रयासों की महत्ती आवश्यकता है, शिविरों में पशुओं के इलाज, दवा, पौषाहार वितरण व स्वास्थ्य संबंधी भलीभांति जानकारी देने से जन जातीय क्षेत्रों के पशु पालक, अपनी आजीविका के मुख्य साधन-पशुओं से बेहतर उत्पादन ले सकेंगे और इससे निश्चित ही उनकी आय में वृद्धि हो सकेगीे।
केन्द्र की टीएसपी योजना के नोडल आॅफिसर डाॅ.काशीनाथ ने बताया कि 28 मई को मोरडू गांव में आयोजित पशु स्वास्थ्य एवं संवाद कार्यक्रम में 105 पशुपालक करीब 370 पशुओं (गाय-102, भैंस-116 व बकरी-152) सहित सम्मिलित हुए। वहीं 29 मई को लोटाना गांव में 76 पशुपालक अपने 944 पशुओं (ऊँट-114, गाय-148, भैंस-82, भेड़-350, बकरी-250) के साथ पहुँचे। नोडल आॅफिसर के अनुसार इन कैम्पों में आए पशुओं में खुजली, चींचड़, भूख कम लगने, पेट के कीड़े व कमजोरी, मिट्टी/पत्थर खाने आदि की बीमारियाँ पाई गई जिनका उचित इलाज किया गया । साथ ही उन्हें मल्टी विटामिन युक्त इंजेक्शन लगाए गए एवं केन्द्र निर्मित खनिज मिश्रण व करभ पशु आहार का वितरण किया गया।
इस टीम में गए वैज्ञानिक डाॅ.शिरीष नारनवरे ने बताया कि इन कैम्पों के माध्यम से पशुपालकों को पशुओं के स्वास्थ्य, साफ-सफाई व रखरखाव, विभिन्न बीमारियों व उनकी रोकथाम संबंधी जानकारी दी गई एवं उपयुक्त टीकाकरण किया गया। केन्द्र के मनजीत सिंह व नेमीचंद बारासा ने पशु स्वास्थ्य शिविरों में आए पशुओं के पंजीयन, दवा व पौषाहार वितरण आदि कार्याें में सक्रिय योगदान दिया।
मोरडू गांव की सरपंच सुश्री लीला कुमारी ने केन्द्र द्वारा आयोजित पशु स्वास्थ्य कैम्प पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्र के पशु पालकों को सहज रूप से इलाज व दवा मुहैया होने से उन्हें पशुधन को बचाने में काफी सहायता मिलती है। वहीं ऊँट पशुपालक सेवा समिति सिरोही संस्था के अध्यक्ष सेवाराम देवासी एवं पूर्व सरपंच कलाराम ने अन्य जनजातीय क्षेत्रों में भी ऐसे कैम्पों के आयोजन की मांग की। वहीं पिण्डवाड़ा के लोटाना गांव में आयोजित स्वास्थ्य कैम्प में पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र सिरोही के डाॅ. कमल मोहन एवं पीएफए संस्था सिरोही के अमित देयाॅल, पशुपालन विभाग भारजा के राजेन्द्र कुमार शर्मा आदि ने पशु स्वास्थ्य शिविर में योगदान दिया।