राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में सरकारों पर छाए संकट के बादल

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद कांग्रेस पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है। जहां एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफे पर अड़ गए हैं वहीं दूसरी तरफ राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में सरकार का संकट उत्पन्न हो गया है। राजस्थान में एक विधायक के इस्तीफे की खबरों के बीच कर्नाटक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक केएन रजन्ना ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद राज्य की कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार गिर जाएगी।
वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि सरकार मजबूत है और उसे कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने 29 मई को अपने पार्टी के विधायक दल की बैठक भी बुलाई है। दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस नेता और मंत्री डीके शिवकुमार ने गांधीगिरी दिखाते हुए कहा है कि मुझे अभी पता लगा कि कौन जीता और कौन हारा, मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। मैं गांधी जी की बातों का पालन करता हूं कि बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो और बुरा मत कहो।
कांग्रेस नेता रजन्ना ने दावा किया कि जी. परमेश्वर प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण तक ही उपमुख्यमंत्री हैं। उसके बाद न वह मंत्री रहेंगे और न ही गठबंधन सरकार रहेगी। रजन्ना ने आरोप लगाया कि तुमकुरु में परमेश्वर के चलते ही गठबंधन प्रत्याशी व पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को हार का सामना करना पड़ा। परमेश्वर ने तुमकुरु के लिए कुछ नहीं किया। वहीं, खबरों में कहा जा रहा है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने भी दावा किया है कि राज्य सरकार जल्द ही गिर जाएगी। लेकिन सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार मजबूत है और उसे कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने येदियुरप्पा के गठबंधन के टूटने को लेकर बार-बार किए जा रहे दावे का भी माखौल उड़ाया।
सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा को जनादेश केंद्र में सरकार बनाने के लिए मिला है, कर्नाटक में सरकार गिराने के लिए नहीं। उन्होंने यह भी दावा किया कि असंतुष्ट बताए जा रहे रमेश जरकीहोली समेत सभी विधायक पार्टी के साथ हैं। हालांकि, रविवार को येदियुरप्पा ने राज्य में जदएस के साथ मिलकर सरकार बनाने की अटकलों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि जदएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का अनुभव बहुत ही कड़वा रहा है। इसलिए पार्टी वह गलती दोबारा नहीं करेगी। वह दोबारा चुनाव पसंद करेंगे। 2007 में भाजपा ने जदएस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी।
बता दें कि जरकीहोली और कांग्रेस नेता डॉ. प्रभाकर ने रविवार को भाजपा नेता एसएम कृष्णा से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। इस मौके पर येदियुरप्पा और भाजपा नेता रमेश भी मौजूद थे। इस मुलाकात पर सवाल किए जाने पर रमेश ने कहा था कि वे राज्य में भाजपा की जीत पर कृष्णा को बधाई देने गए थे। वहीं, कर्नाटक के परिवहन मंत्री और जदएस नेता डीसी तमन्ना ने कहा कि अगर पार्टी को लगता है कि वह मंत्री के काबिल नहीं हैं तो उन्हें पद से हटा सकती है। उन्हें कोई शिकायत नहीं होगी। तमन्ना का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं।
मध्यप्रदेश में भी भाजपा ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है जिसके बाद राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को एक बार फिर मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है, अब हो जाए फ्लोर टेस्ट, हम तैयार हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को लेकर कहा है कि सरकार की योजनाओं को हम जनता तक पंहुचा पाए हैं, यह चुनाव अफवाहों का चुनाव रहा है।
इन दिनों राजस्थान कांग्रेस में दो फाड़ का माहौल है। हालात ये हैं कि पार्टी के कुछ नेता लोकसभा चुनाव में मिली हार का ठिकरा राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिर फोड़ना चाहते हैं। प्रदेश में सीएम विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है। जहां रविवार की देर रात को सीएम के निकट बने रहने वाले और प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने पद से इस्तीफा दिया। वहीं, दूसरी ओर सोमवार को दो कैबिनेट मंत्रियों ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया।