विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया

बीकानेर। विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर दिनांक 24 मई 2019 को मनोरोग चिकित्सा एवं नशामुक्ति विभाग, पी.बी.एम. हॉस्पीटल, बीकानेर एवं योगस्थल, वृद्वजन भ्रमण पथ, बीकानेर में आमजन में सिजोफ्रेनिया रोग के बारे में जन जागृति फैलाने हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ सह आचार्य डॉ0 श्री गोपाल एवं डॉ0 हरफूल सिंह ने किया ।

इसके अन्तर्गत शहर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ0 अशोक सिंघल ने इसके बारे में विस्तार से बताया कि 33 प्रतिशत लोगो का लगातार दवाईयों से सम्पूर्ण ईलाज हो जाता है एवं मरीज की दवाईयां बंद हो जाती है। बाकी 33 प्रतिशत लोगों में दवाईयों के साथ मरीेज अपने सभी दैनिक कार्य करने में सक्षम रहता है एवं शेष लगभग 34 प्रतिशत लोगों में जीवन पर्यन्त दवाईयों के साथ मरीज की अत्यधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है।

डॉ0 हरफूल सिंह ने सिजोफ्रेनिया बीमारी के लक्षणों एवं इस रोग के बारे में समाज में प्रचलित भ्रांतियों के बारे में विस्तार से बताया कि यह एक गंभरी प्रकृति की मानसिक बीमारी है जिसका आरंभ 15 से 25 साल की उम्र में हो जाता है तथा यह बीमारी महिला/पुरूष, शहरी/ग्रामीण, शिक्षित/अनपढ़ किसी भी व्यक्ति में हो सकती है उन्होंने इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों के बारे में बताया कि इसमें व्यक्ति गुमसुम रहने लगता है, कम बोलता है, परिवार एवं समाज से अलग-थलग रहने लगता है, शक करने लगता है कि कोई उसे नुकसान पहुॅचाना चाहता है, भयभीत रहने लगता है, बिना बात ही अकेले बैठे हॅसने लगता है, बोलता है अथवा अत्यधिक क्रोध करने लगता है ।

इसी श्रंृखला में डॉ0 श्री गोपाल ने बताया कि भारत में अभी भी मानसिक रोग को उपरी हवा, अभिशाप अथवा दैवीय दोष कहते हुए इसका ईलाज झाड़-फूंक तांत्रिक अथवा ओझाओं से करवाते है । इसी प्रक्रिया में बीमारी अक्सर काफी बढ़ जाती है और फिर उस व्यक्ति को मनोरोग चिकित्सक के पास ले कर आते है । इस समय तक बीमारी काफी गंभीर हो जाती है और ईलाज में काफी समय लगता है । उन्होंने इस बीमारी के ईलाज के बारे में बताते हुए कहा कि इस बीमारी को जितना जल्दी पहचान कर ईलाज करवाया जाए, मरीज के ठीक होने की संभावनाए उतनी ही ज्यादा होती है । आज के युग में कई प्रकार की दवाईया उपलब्ध है जिनसे बिना किसी प्रकार के साईड-इफेक्ट के मरीज को जल्दी से जल्दी ठीक किया जा सकता है ।

इसी अवसर पर क्लिीनिकल सॉइकोलोजिस्ट डॉ0 अंजू ठकराल ने इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के सामाजिक पुर्नस्थापन की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि परिवार जन को मनोरोगी का किस तरह ध्यान रखते हुवें उन्हें समाज की मुख्य धारा मे जोडना चाहिए ।

इसी कार्यक्रम के अन्तर्गत इस विभाग के रेजीडेंटस डॉ0 रिपुदमन, डॉ0 ताहिर, डॉ0 देवानन्द, डॉ0 प्रेम, डॉ0 सन्दीप, डॉ0 दिव्या, डॉ0 प्रितम डॉ0 लक्ष्मी ने भी भाग लिया। इसके अन्तर्गत योगगुरू विनोद जोशी ने योग के माध्यम से बीमारी के सुधार के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम का संचालन सीनियर रेजीडेंट डॉ0 कन्हैया लाल कच्छावा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञातिप करते हुवे लोगों से अपील की कि वे यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताए ताकि मनोरोग का सही समय पर समुचित ईलाज हो सकें। इस अवसर पर मरीजों एवं रिश्तेदारों को इस रोग से संबंधित पुस्तिकाओं का वितरण भी किया गया।