कृषि वैज्ञानिकों ने किया बाजरा उत्पादन वृद्धि की संभावनाओं पर मंथन

बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केन्द्र में बुधवार को देश के विभिन्न क्षेत्रों के कृषि वैज्ञानिकों ने बाजरा उत्पादन वृद्धि के संबंध में मंथन किया।

उद्घाटन सत्र की अतिविशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनसुंधान परिषद-आइसीएआर जोधपुर की परियोजना समन्वयक डाॅ. सी. तारा सत्यवती थी। उन्होंने कहा कि बाजरा, भारत की महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। मोटे अनाजों में बाजरे की उत्पादन क्षमता सर्वाधिक है। पश्चिमी राजस्थान के दृष्टिकोण से भी यह महत्त्वपूर्ण फसल है। जोन-ए1 क्षेत्र में बाजरा बुवाई का 40 प्रतिशत क्षेत्र है। इतने भूभाग के अनुसार गुणवत्तायुक्त बाजरा उत्पादन हो, कृषि वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य करें।

एसकेआरएयू के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि राजस्थान की विषम परिस्थितियों में अच्छी उपज देने के साथ बाजरा पशुधन के चारे का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है। इसे ध्यान रखते हुए बाजरा से पशु पोषण की संभावनाओं से संबंधित ‘पायलेट प्रोजेक्ट’ प्रारम्भ किया जा सकता है। उन्होंने बाजरा उत्पादन एवं गुणवत्ता वृद्धि के लिए योजनाबद्ध कार्य करने की आवश्यकता जताई तथा कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

इससे पहले अतिथियों मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डाॅ. एस. एल. गोदारा ने केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी दी तथा शुष्क क्षेत्र के मद्देनजर जैसलमेर अथवा बाड़मेर क्षेत्र में एक और अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की मांग रखी।

केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. पी. एस. शेखावत ने आभार जताया। उन्होंने बताया कि एक दिवसीय कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों के 14 विश्वविद्यालयों के कृषि वैज्ञानिकों ने भागीदारी निभाई। दूसरे सत्र में 10 कृषि वैज्ञानिकों ने बाजरा उत्पादन से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया। दिनभर में कुल 4 सत्र आयोजित हुए। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. चित्रा हैनरी ने किया। इस अवसर पर प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एस. के. शर्मा, आइएबीएम निदेशक डाॅ. एन. के. शर्मा सहित विभिन्न डीन, डायरेक्टर, शैक्षणिक-अशैक्षणिक स्टाफ सदस्य, आइसीएआर के वैज्ञानिक तथा कृषि वैज्ञानिक मौजूद रहे। कार्यक्रम के पश्चात् अतिथियों ने कृषि अनुसंधान केन्द्र परिसर में पौधारोपण किया।