पाठ्यक्रम बदलाव पर गहलोत सरकार के दो मंत्री आमने-सामने

जयपुर। राजस्थान में सरकारी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। एक के बाद एक अचानक हो रहे बदलाव के फैसलों से प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा कटघरे में हैं। इस मामले पर अब तक विरोधी खेमा यानी कि भाजपा ही डोटासरा को निशाने पर ले रही थी। लेकिन अब सत्तापक्ष के मंत्री और नेता भी शिक्षा मंत्री डोटासरा के इन फैसलों को लेकर आपत्ति जताने लगे हैं।

गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और वरिष्ठ नेता गोपाल सिंह ईड़वा ने खुद की सरकार में शिक्षा पाठ्यक्रमों में हो रहे बदलाव पर आपत्ति उठाई है। इन दोनों नेताओं ने इन बदलावों को गैरज़रूरी बताते हुए शिक्षा मंत्री डोटासरा पर ही निशाना साधा है। ‘मंत्री होने से इतिहास नहीं बदल सकता’: खाचरियावास परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में बदलाव पर मीडिया को प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘मंत्री होने से इतिहास नहीं बदला जा सकता, चाहे भाजपा हो या कांग्रेस के नेता, पहले उनको इतिहास की जानकारी करनी चाहिए, जौहर व सती में अंतर मालूम करना चाहिए, पन्ने बदलने से इतिहास नहीं बदला जा सकता।’

‘बदलाव का फैसला वापस लें मंत्री’: ईड़वा इधर, कांग्रेस नेता गोपाल ईडवा ने भी मंत्री डोटासरा के फैसलों पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा, ‘पाठ्यपुस्तकों में बदलावों के फैसले को वापस लेना चाहिए, मंत्री को जौहर व सती प्रथा में अंतर मालूम करना चाहिए।’ ऐसे शुरू हुआ बवाल प्रदेश में पाठ्यक्रम बदलाव पर बवाल मचा हुआ है। वीर सावरकर के अध्याय में बदलाव के बाद अब पुस्तक के कवर पेज पर लगी जौहर की फोटो को हटाने से फिर एक बार विवाद खड़ा गया है। दरअसल, आठवीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब के कवर पेज पर जौहर की फोटो लगी हुई थी, जिसे अब हटा दिया गया है और उसकी जगह पर किले की तस्वीर कवर पेज पर लगाई गई है। इसी मुद्दे पर विवाद और बढ़ चुका है।

मामला सामने आते ही पूर्व विधायक दीया कुमारी ने ट्वीट कर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि राजस्थान में वीर सावरकर, महाराणा प्रताप और रानी सती को लेकर कांग्रेस सरकार हमारे सुनहरे इतिहास का अपमान कर रही है। वहीं, इस पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि महाराणा प्रताप महान थे और रहेंगे। उनके पराक्रम को और अच्छे से लिखने का काम हमने किया है। साथ ही सावरकर के लिए डोटासरा ने लिखा कि इतिहास के पन्नों में दर्ज साक्ष्यों के आधार पर शिक्षाविदों की कमेटी ने यह बदलाव किया है। जहां तक रानी सती जी की बात है तो हम अपनी छोटी बच्चियों को जौहर करना नहीं सीखा सकते। यह प्रथा समूचे हिंदुस्तान में कानूनी रूप से बैन है। इसलिए जौहर के कवर पेज को हटाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जौहर के कवर पेज का पुस्तक से कोई ताल्लुक भी नहीं था।