तीसरा मोर्चा कांग्रेस का समर्थन लेने को तैयार पर ड्राइविंग सीट नहीं देगा

लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण 19 मई को होना है. छह चरणों के बाद सभी पार्टियां अपने-अपने जीत के दावे पेश करने में लगी हुई हैं. लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण से ठीक पहले अब क्षेत्रीय पार्टियों ने भी सरकार बनाने का प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है. इस चुनाव में अगर एनडीए गठबंधन सत्ता हासिल करने जितनी सीट नहीं हासिल कर पाती है और कांग्रेस भी कुछ खास दम नहीं दिखा पाती है तो तीसरा मोर्चा बेहतर विकल्प साबित होगा. खबर है कि सरकार बनाने के लिए तीसरा मोर्चा कांग्रेस का समर्थन लेने से पीछे नहीं हटेगा.

तीसरा मोर्चा बनाने वाले तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने कहा है कि इस बार के चुनाव में तीसरे मोर्चे के आने की पूरी संभावना है. ऐसे में सरकार बनाने के लिए तीसरा मोर्चा, कांग्रेस का समर्थन लेने को तैयार है. इसी के साथ उन्होंने शर्त रखी कि कांग्रेस हमारे साथ जुड़ तो सकती है लेकिन ड्राइवर सीट पर बैठने की मांग बिल्कुल न करे.

पिछले पांच सालों में राजनीति के अखाड़े में केसीआर की ताकत काफी बढ़ गई है. केसीआर को लगता है कि साल 2019 में उनके लिए 1999 और 2009 के मुकाबले ज़्यादा बेहतर हालात होंगे. साल 1999 और 2009 केसीआर के लिए बेहद खराब रहे थे. 1999 में उन्हें टीडीपी की टिकट पर जीत मिली थी. उस वक्त उन्हें कैबिनेट पोर्टफोलियो नहीं मिला था. उनके मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें विधानसभा में उपसभापति बना दिया था. लेकिन एक साल बाद ही केसीआर ने टीडीपी से नाता तोड़ लिया था. उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नाम से अपनी एक अलग पार्टी बना ली थी.

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में केसीआर की पार्टी को 5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी. बाद में केसीआर यूपीए की सरकार में मंत्री भी बने. साल 2009 में लोकसभा चुनाव के नतीजों से सिर्फ एक दिन पहले वो एनडीए में शामिल हो गए. लेकिन अगले दिन ही उन्हें करारा झटका लगा और उनकी पार्टी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस की सत्ता में एक बार फिर से वापसी हो गई. आंध्र प्रदेश में एक बार फिर से वायएसआर किंग बन गए. लेकिन इस बार एक बार पिर से केसीआर केंद्र की राजनीति में आने को बेकरार हैं.