साहित्य की सामाजिकता ही उसे कालजयी बनाती है – विनोद

बीकानेर। समवेत और थार एक्सप्रेस के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को रोटरी क्लब सभागार में आयोजित लोकार्पण समारोह को अध्यक्ष के रूप में संबोधित करते हुए साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि साहित्य की सामाजिकता ही उसे कालजयी बनाती है। श्रीमती नयनतारा छलानी की पुस्तकों ‘दमयंती की दुनिया भाग-2’ व ‘हरसिंगार’ का लोकार्पण कर विनोद ने साहित्य और समाज के अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करते हुए कहा कि अब समय बदल गया है। आज का पाठक जब तक स्वयं का अक्ष नहीं देख लेता, बात उसके गले नहीं उतरती है। ऐसे में साहित्यकार की रचनात्मक जिम्मेदारी बढ जाती है। हरसिंगार की कविता प्रविधि को बारीक से रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इन कविताओं में धर्म, दर्शन, अध्यात्म, समसायिकता और प्रकृति अपने पूर्ण प्रभाव के साथ अवतरित होती है और पाठक से जुड़ाव का रास्ता बनाती है।
लोकार्पित कृतियों की अन्तर्दृष्टि पर अपने विचार रखते हुए साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि कविताओं का भाषा पक्ष जहां हरसिंगार-सा खुशबुआता मन मोहता है, वहीं अनगढ़ कविता की सहजता मिट्टी की कच्ची महक-सी मन में उतरती है। कविताओं से गुजरते हुए यह कहीं नहीं लगता कि कवयित्री ने अनुभव, संवेदना व भावों को कविताई बनाने का कोई अतिरिक्त उपक्रम किया हो। स्वतः उद्भूत शब्द माणिक्य जैसे यथावत रखती गई हैं। यही सादगी विशिष्ट बन पाठक के लिए सहजता व पाठकीय जुड़ाव का कारण बन सकती है, तो यही पक्ष इस संकलन की हदबंदी या सीमांकन भी करता है।
लोकार्पण समारोह के प्रारंभ में समवेत के अध्यक्ष कवि सरल विशारद ने कहा कि आज के बदलते दौर में समय के प्रवाह के साथ मुठभेड़ साहित्यकार के समक्ष चुनौती बन गई है। अब रचनाकार को अपने उपकरणों को नए सिरे से तराशना होगा। साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने दमयंती की दुनिया की दमयंती को आज के संदर्भ से देखे जाने पर बल दिया। दमयंती अब समय के समक्ष झुकती नहीं बल्कि पूरी ताकत से मुकाबले को तैयार दिखती है। थार एक्सप्रेस के संपादक लूणकरण छाजेड़ ने स्तम्भ रूप में प्रकाशित दमयंती की दुनिया की पृष्ठभूमि को रेखांकित किया। रोटिेरियन अरुण प्रकाश गुप्ता ने बीकानेर के महिला लेखन में इसे एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि समय और सत्ताएं बदलती रहती है पर साहित्य शाश्वत है।
डॉ. कृष्णा आचार्य और संजू श्रीमाली ने लोकार्पित कृतियों पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि छलानी के रचनात्मक कौशल में संवेदनाओं का उत्ताल प्रवाह देखने को मिलता है। नयनतारा छलानी ने इस अवसर पर अपनी रचना प्रक्रिया और इनकी अर्न्वस्तु पर अपनी बात रखी। युवा साहित्यकार हरीश बी शर्मा के संयोजन में हुए समारेाह में पृथ्वीराज रतनू, मनीष छलानी, कविता, डॉ. कृष्णलाल विश्नोई, ओ. पी. शर्मा, मधु आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र जोशी, निरज दईया, अजय जोशी, बसंती हर्ष, गौरीशंकर प्रजापत डॉ. एस. एन. हर्ष, डॉ. डी. आर. छलाणी, डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल सहित अनेक साहित्यकार व परिजन उपस्थित थे।
