प्रशंसा की नहीं, प्रसन्नता की अभिलाषा रहे : आचार्यश्री रामलालजी म.सा.

अक्षय तृतीया पर पारणा महोत्सव

बीकानेर। बीकानेर की जैन पब्लिक स्कूल मैदान में सोमवार को अमृतवाणी सुनने हजारों का हुजुम उमड़ पड़ा। जैनाचार्य आचार्य प्रवर श्री रामलाल जी म.सा. ने प्रशंसा से दूर रहने का प्रवचन दिया। आचार्यश्री ने कहा कि स्वयं की प्रशंसा सुनना लोगों को बहुत पसंद है। प्रशंसा होती रहे इसके लिए लोग जतन करते रहते हैं। लोग हमारी तारीफ करे इसके लिए दान-पुण्य करना मात्र दिखावा होता है। लोगों में प्रशंसा की भूख रहती है और अच्छे-बुरे का मूल्यांकन भी प्रशंसा से तय करते हैं। जिसने प्रशंसा नहीं की उसे आप बुरा मानते हैं। आचार्यश्री ने कहा कि हकीकत में तो प्रशंसा एक पिशाचनी है। जिसके सिर प्रशंसा का भूत चढ़ जाता है वह कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। प्रशंसा नहीं प्रसन्नता की अभिलाषा रहना चाहिए। प्रशंसा इंद्रियारामी श्रेणी में आते हैं जबकि प्रसन्नता आत्मरामी श्रेणी में आते हैं। सहज जीवन जीना ही प्रसन्नता है। आचार्यश्री ने कहा कि पूर्वजों की सम्पत्ति बटोरने के लिए तो सभी तैयार रहते हैं, लेकिन उनका ज्ञान, स्वाध्याय और परमार्थ को आगे बढ़ाने में कोई आगे नहीं आता है। कुछ पुण्य कर लिया तो उसको गिनाते और दिखाते रहते हंै, ढोल पीटते रहते हैं यही दिखावा उस पुण्यवानी को समाप्त कर देता है।

इससे पूर्व मुनिश्री संजय जी म.सा. ने उपाध्याय प्रवर श्री राजेश जी म.सा. के वैराग्य जीवन के बारे में बताया। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयचन्दलाल डागा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की मुमुक्षु यशा चौपड़ा ने गुरुदेव के समक्ष प्रतिज्ञा पत्र पढ़ा तथा मुमुक्षु यशा की दीक्षा 20 अगस्त 2019 को संभावना जताई जा रही है। अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव समिति के संयोजक विजयचन्द डागा ने बताया कि मंगलवार को गंगाशहर स्थित जैन पब्लिक स्कूल मैदान में अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव मनाया जाएगा।