निर्माणाधीन नाले की गुणवत्ता में विधायक अरुण वोरा ने उठाए सवाल

दुर्ग। शहर के मध्य से 11 कि.मी. गुजरने वाला शंकरनाला में 6.5 कि.मी. निर्माण की राशि 14.50 करोड़ का भूमिपूजन 54 दिन में 54 मीटर तक का निर्माण नहीं हो पाया। पूर्व में नगर निगम द्वारा 4 कि.मी. का कार्य 10 वर्ष पूर्व कराया गया था। जो कि अत्यंत जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। बहुप्रतिक्षित शंकर नाला लगातार 8 बार निविदा के बाद स्वीकृत होने के बाद एजेंसी द्वारा कार्य प्रारंभ तो किया गया लेकिन पुन: निर्माण क्वालिटी में निम्न स्तर की सामाग्री लगाई जा रही है तथा मॉनिटरिंग का भी अभाव है। संपूर्ण नाले का सीमांकन अब तक पूर्ण नहीं हुआ है यह भी बार-बार अवरोध होने का मुख्य कारण है।

वही दूसरी तरफ रायपुर नाका से गुरुद्वारा तक सफाई का कार्य नहीं किए जाने के कारण नाला गार्डन में तब्दील हो गया है जबकि निगम अधिनियम के अनुसार शहर के बड़े नाले एवं नालियों के सफाई का कार्य दिसम्बर माह में प्रारंभ हो जाना चाहिए था। किन्तु हमेशा की तरह सफाई में घाल मेल व जनता को परेशान करने की नियत से वर्षाऋतु के कुछ दिनों पूर्व सफाई कार्य प्रारंभ किया जाता है। जिससे पूर्व में गंदे पानी के जमावड़े से संक्रामक रोग एवं जनहानि नाले से लगी हुई आबादी में हो चुकी है। विधायक अरुण वोरा ने आयुक्त से शिकायत में कहा कि निर्माण की रफ्तार मंथर गति से चल रही है एवं सफाई ना होने से जनमानस आक्रोशित हैं। शंकरनाले के कार्य में निगम के अधिकारी अपने कार्यालय से निकलकर जनसुविधा के लिए स्थल तक पहुंचे एवं गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें। मालवीय नगर से उरला तक निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ पार्षद राजेश शर्मा, प्रकाश गीते, सुरेन्द्र सिंग ठाकुर, अंशुल पाण्डेय उपस्थित थे।