श्रीमाली समाज की महिलाओं ने किया धींगा गवर का पूजन

बीकानेर। धींगा गवर का पूजन प्रति वर्ष चैत्र शुक्ला चतुर्थी से प्रारंभ होकर वैशाख कृष्ण तृतीया तक किया जाता है। चैत्र शुक्ला तृतीया को बाला गवर की विदाई के पश्चात धींगा गवर का पूजन आरंभ होता है। श्रीमाली समाज में धींगा गवर का पूजन बहुत ही विधि विधान के साथ किया जाता है। कोलायत से मिट्टी लाकर उस मिट्टी से ईसर, गौरा, गणेश, नंदी और मालिनी की मूर्तियों को बनाया जाता है। बांस की छाबड़ी मे लाल वस्त्र को बिछाकर मूर्तियों को स्थापित किया जाता है और दुर्वा एवं गुलाल पुष्प आदि से धींगा गवर का पूजन किया जाता है। रात्रि के समय गवर माता की विभिन्न आरतियां गाई जाती है। अंतिम दिवस स्त्रियां धूमधाम से गवर माता की पूजा करती है। सुहाग छाबड़ी, कसार, मालपुआ, बड़ी, पापड़ आदि माता को अर्पित किए जाते हैं। शाम को पानी पिलाने कि रस्म निभाई जाती है। चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व माता का तालाब में विसर्जन किया जाता है। इस बार बिन्नानी चौक स्थित ‘शेखर निवास’ में धींगा गवर माता का पूजन रेणु देवी, कमला देवी, सुनीता देवी ज्योति बाला चेतना शालू सुशीला देवी इंदिरा प्रमिला ज्योति उषा ललिता भावना अनीता आदि के द्वारा बड़ी धूमधाम से किया जाता है।