देवी के पूजन से मिलेगा मनचाहा वर

धर्म व् आराधना की बात करे तो ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध मां कात्यायनी से माना जाना चाहिए. आपको बता दें इस साल मां कात्यायनी की पूजा 11 अप्रैल को की जाएगी. मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है. मान्यता है कि इस समय में धूप, दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है. जो भक्त माता को पांच तरह की मिठाईयों का भोग लगाकर कुंवारी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है.

शास्त्रों के अनुसार कात्यायन ऋषि के तप से प्रसन्न होकर मां आदि शाक्ति ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुई. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलाती हैं. मां की चारों भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है. मां का वाहन सिंह है. ऐसी मान्यता है कि कात्यायनी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है.